नवरात्रि में अवश्य करे यह अनुष्ठान
अपनी सभी मनोकामनाओं की पूर्ती तथा सफलता के रास्ते में आने वाली हर बाधा दूर करने के लिए विद्यार्थियों को नवरात्रों में नियमित रूप से सुबह कम से कम एक माला “ऊँ श्री दुर्गा देव्यै नमः”- इस मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।
- नवरात्रि में कोई उपाय , अनुष्ठान या मंत्र जाप किया जाता है तो वह अवश्य फलित होता है। अत: नवरात्रि में मां की आराधना करते समय नीचे दिए गए मंत्र का जाप सर्वप्रथम करना चाहिए।
“ऊँ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी, दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।।”
देवी दुर्गा के आगे गौमाता के घी का दीपक प्रज्वलित करके,
- 9 पाठ दुर्गा सप्त श्लोक
- 9 पाठ 32 नाममाला
- 9 पाठ सिद्ध कुँजिका स्तोत्र करे ।
2) धन प्राप्ति,क़र्ज़ मुक्ति हेतु
श्री सूक्त के प्रतिदिन 16 पाठ या 160 पाठ प्रतिदिन करे । विजयादशमी को विद्वान पंडित जी द्वारा दशांश यज्ञ, तर्पण, मार्जन करे या कराए ।
3) शीघ्रा फल प्राप्ति हेतु
नवरात्रि में प्रतिदिन, साम्पुटिक श्री सूक्त के 16 पाठ, देवी दुर्गा के आगे गौमाता के घी का दीपक प्रज्वलित करे । पाठ के पहले दिन आपके मन की सबसे महत्वपूर्ण कोई भी एक कामना/इच्छा को देवी के समक्ष बोले ।
4) धन प्राप्ति हेतु
श्री शंकराचार्य कृत ब्राह्मण की निर्धनता को दूर करने हेतु माँ लक्ष्मी जी की श्री कनकधारा स्तोत्र से स्तुति की थी । नवरात्रि में इसके 16 पाठ प्रतिदिन या 9 दिनों में कुल 1200 पाठ करे । विजयादशमी को विद्वान पंडित जी द्वारा दशांश यज्ञ, तर्पण, मार्जन करे या कराए ।
5) शत्रुओं से या कोर्ट कचहरी से पीड़ित व्यक्ति को बगुला प्रतियंगिरा कवच के कुल 400 पाठ या प्रतिदिन के 400 पाठ के हिसाब से 3600 पाठ भी विद्वान पंडित जी से करवा सकते है । इसका दशांश यज्ञ, तर्पण, मार्जन की आवश्यकता नहीं है ।
6) शारदीय का एक अर्थ सरस्वती भी है । अतः विद्यार्थियों के लिए ब्रह्म जी द्वारा रचित सरस्वती स्तोत्र या देवी भागवत में वर्णित बीज मंत्र आईम का प्रतिदिन अधिकाधिक माला फेरे तथा । यदि अनुष्ठान के रूप में करते है तो इसका विजयादशमी को दशांश यज्ञ, तर्पण, मार्जन करे ।
7) आकस्मिक धन प्राप्ति हेतु नवरात्रि में प्रतिदिन — श्रीम् — लक्ष्मी जी के इस सबसे प्रभावशाली मन्त्रों में से को एक माला फेरे ।
8) हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए एवं बल-बुद्धि प्राप्ति हेतु हनुमान चालीसा के 100 पाठ प्रतिदीन, कुल 900 पाठ करके, विजयादशमी को दशांश यज्ञ, तर्पण, मार्जन की करे ।
9) दुर्गा सप्तसतीं- इस स्तोत्र के प्रतिदिन एक पाठ, या शतचंडी, यानी कुल 100 पाठ का अनुष्ठान करके विजयादशमी को दशांश यज्ञ, तर्पण, मार्जन की करे ।