गोपाष्टमी विशेष : करे ये उपाय।
आज हम आपको गौ माता और उससे जुड़े भी कुछ खास और आसान उपाय से आप अपना जीवन कैसे संवार सकते हैं इस बारे में बता रहे हैं। सबसे पहले गौमाता में सभी देवी देवताओं का निवास बताया गया है यह सत्य है अगर आपके घर में वास्तु दोष है या किसी ने भी आपको बताया कि आपके घर में वास्तु दोष है तो गौ माता के पैर की मिट्टी से प्रत्येक पूर्णिमा को पोछा लगावे इससे घर का वास्तु दोष और नकारात्मक उर्जा समाप्त हो जाएगी। गाय की पूछ को आप अपने मस्तक पर रखें और आशीर्वाद माँगे। यह आपके पुण्य को बढ़ाने वाली और पापों को समाप्त करने वाली है। गाय की पूंछ से अगर कोई तर्पण करता है तो वह अपने प्राणी कोमोक्ष प्रदान कराता है। वैतरणी नदी से भी तारता है। गाय की पीठ पर एक बड़ा सा हिस्सा उठा वह होता है जिसे कूबड़ कहते हैं।इसमे ब्रह्मा का निवास माना गया है।इसमें ऊर्जा का संग्रह होता है।अगर आप किसी खास विधा या सिद्धि को प्राप्त करना चाहते है तो मंत्र के साथ इस कूबड़ पर हाथ फेरे।गाय के गले मे श्री हरि विष्णु जी का वास है।जिनको दाम्पत्य जीवन का सुख परिवार का सुख नही मिल रहा है।वे सभी प्रतिदिन खासकर गुरुवार को गोमाता के गले मे हाथ अवश्य फेरे।गौ माता के खुर यानी पैर के नीचे की रज या धूल को माथे पर लगा लिया जाएं तो मनुष्य का औरा आठ से नौ गुना बढ़ जाता है।अगर बार आप दुर्धटना के शिकार हो रहे है।वाहन खराब हो रहा है।शारीरिक पीड़ा कम नही हो रही है तो आप गोमाता के सींगो पर तेल से मालिश करें।जल्दी ही फायदा होगा।अगर आप जीवन मे भारी संधर्ष कर रहे भाग्योदय नही हो रहा है तो आप गोमाता को स्नान कराएं ओर रोज गौमूत्र का सेवन करें। गौमूत्र के सेवन से लीवर ओर डायबटीज के रोग दूर होते है ।अगर हम चाहते है कि हमारे पूर्वजों को शान्ति मिले और मोक्ष मिले तो आप गौमाता की नाभि के दर्शन करें।ज्योतिष में गोधूलि का समय विवाह के लिए सर्वोत्तम माना गया है।यदि गोघुलि वेला में हम अन्नपूर्णा या लक्ष्मी सूक्त का पाठ गौमाता के सम्मुख करें तो कितना भी दुर्भाग्य क्यों नहो दूर हो जाएगा।यदि यात्रा के प्रारंभ में गाय सामने पड़ जाए अथवा अपने बछड़े को दूध पिलाती हुई सामने पड़ जाए तो यात्रा सफल होती है।जिस घर में गाय होती है, उसमें वास्तुदोष स्वत: ही समाप्त हो जाता है। गौमाता का ताजा गोमुत्र सुबह घर के दरवाजे की चौखट पर छिड़के तो बुरी से बुरी नजर भी हट जाती है। जन्मपत्री में यदि शुक्र अपनी नीच राशि कन्या पर हो, शुक्र की दशा चल रही हो या शुक्र अशुभ भाव (6, 8, 12)- में स्थित हो तो प्रात:काल के भोजन में से एक रोटी सफेद रंग की गाय को अथवा रोटी पर. चावल या दही. शक्कर. खिलाने से शुक्र का नीचत्व एवं शुक्र संबंधी कुदोष स्वत: समाप्त हो जाता है।पितृदोष से मुक्ति- सूर्य, चंद्र, मंगल या शुक्र की युति राहु से हो तो पितृदोष होता है। यह भी मान्यता है कि सूर्य का संबंध पिता से एवं मंगल का संबंध रक्त से होने के कारण सूर्य यदि शनि, राहु या केतु के साथ स्थित हो या दृष्टि संबंध हो तथा मंगल की युति राहु या केतु से हो तो पितृदोष होता है। इस दोष से जीवन संघर्षमय बन जाता है। यदि पितृदोष हो तो गाय को प्रतिदिन या अमावस्या को रोटी, गुड़, चारा आदि खिलाने से पितृदोष समाप्त हो जाता है।अमावस्या को पूछ को हाथ मे लेकर अगर पित्र सूक्त का पाठ करें तो पित्र प्रसन्न होते है । किसी की जन्मपत्री में सूर्य नीच राशि तुला पर हो या अशुभ स्थिति में हो अथवा केतु के द्वारा परेशानियां आ रही हों तो गाय में सूर्य-केतु नाड़ी में होने के फलस्वरूप गाय की पूजा करनी चाहिए, दोष समाप्त होंगे।सुबह सूर्योदय में गौमाता के दर्शन और गोमाता के सामने सूर्य के बाहर नामों का उच्चारण करके गौमाता को प्रणाम करना चाहिए। हस्तरेखा में जीवनरेखा टूटी हुई हो तो गाय का घी हाथों मे एक बूँद लेवें ओर हथेलियों में रगड़े ओर खुशबू लेवें और गाय की पूजा करें।देशी गाय की पीठ पर जो ककुद् (कूबड़) होता है, वह ‘बृहस्पति’ है। अत: जन्म पत्रिका में यदि बृहस्पति अपनी नीच राशि मकर में हों या अशुभ स्थिति में हों तो देशी गाय के इस बृहस्पति भाग एवं शिवलिंगरूपी ककुद् के दर्शन करने चाहिए। गुड़ तथा चने की दाल रखकर गाय को रोटी भी दें।गोमाता के नेत्रों में प्रकाश स्वरूप भगवान सूर्य तथा ज्योत्स्ना के अधिष्ठाता चन्द्रदेव का निवास होता है। जन्मपत्री में सूर्य-चन्द्र कमजोर हो तो गोनेत्र के दर्शन करें, लाभ होगा। यदि शनि राहु केतु जन्म पत्रिका में अशुभ है तो गौमाता को रोटी पर काले तिल या उड़द रखकर देवे।लाभ होगा।मंगल की स्थिति अशुभ हो तो रोटी पर उड़द की दाल रखकर देवे।