वास्तु एवं द्वारवेध
भवन निर्माता एवं भवन स्वामी दोनों को द्वारवेध का विशेष ध्यान रखना चाहिए। अन्यथा दुष्परिणाम भयंकर हो सकते हैं जो दोनों को भोगने पड़ेगे।
अत: कभी-कभी छोटी-छोटी बातें असामान्य रूप से भयंकर कष्ट कारक बन जाती हैं एवं भावी पीढ़ी को प्रभावित करती हैं। समझदार व्यक्ति को चाहिए कि मुख्य द्वार के सामने कोई पेड़-पौधे दीवार का कोना, खंबा, खाई, कुआं, कीचड़, गली, मंदिर की छाया, पीपल की छाया, कोई कब्र, लंबोतर गली, किसी प्रकार का बंद या बाधाएं नहीं होनी चाहिए।
यह भी विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए कि मुख्य द्वार खोलते या बंद करते समय किसी भी प्रकार की अप्रिय आवाज नहीं होनी चाहिए। मुख्य द्वार सही है तो घर में रिद्धि-रुद्धि, सब प्रकार के मंगल कार्यों की वृद्धि होती है। घर के सदस्यों की रक्षा होती है एवं वंशबेल आगे बढ़ती है।