श्रावण मास में विशेष व्रत आते हैं ।
- श्रावण सोमवार व्रत
2. सोलह सोमवार व्रत
3. मंगलागौरी व्रत
4. वरदलक्ष्मी व्रत
5. श्रावण सोमवार व्रत
श्रावण मासमें बच्चोंसे लेकर बडे-बूढोंतक सभीके द्वारा किया जानेवाला एक महत्त्वपूर्ण व्रत है, श्रावण सोमवारका व्रत । श्रावण सोमवारके व्रतसंबंधी उपास्य देवता हैं भगवान शिवजी ।
श्रावण सोमवारकी व्रतविधि -
इसमें श्रावण मासके प्रत्येक सोमवारको भगवान शिवजीके देवालयमें जाकर उनकी पूजा की जाती है । कुछ शिवभक्त श्रावणके प्रत्येक सोमवारको 108 अथवा विशेष संख्यामें बिल्वपत्र शिवपिंडीपर चढाते हैं । कुछ लोग श्रावण सोमवारको केदारनाथ, वैद्यनाथ धाम, गोकर्ण जैसे शिवजीके पवित्र स्थानोंपर जाकर विविध उपचारोंसे उनका पूजन करते हैं । इसके साथही श्रावण सोमवारको भगवान शिवजीसे संबंधित कथा-पुराणोंका श्रवण करना, कीर्तन करना, भगवान शिवजीसंबंधी स्तोत्रपाठ करना, भगवान शिवजीका ‘ॐ नमः शिवाय ’ यह नामजप करना इत्यादि प्रकारसे भी दिनभर यथाशक्ति भगवान शिवजीकी उपासना की जाती है । व्रतके दिन व्रतदेवताकी इस प्रकार उपासना करना व्रतका ही एक अंग है । श्रावण सोमवारके दिन भगवान शिवजीका नामजप करना लाभदायी होता है ।
श्रावण सोमवार व्रतसे संबंधित उपवास –
इस दिन संभव हो, तो निराहार उपवास रखते हैं । निराहार उपवास अर्थात दिनभर आवश्यकतानुसार केवल जल प्राशन कर किया जानेवाला उपवास । दूसरे दिन भोजन कर यह उपवास तोडा जाता है । कुछ लोग नक्त व्रत रखते हैं । नवतकाल अर्थात सूर्यास्तके उपरांत तीन घटिका अर्थात ७२ मिनट, अथवा नक्षत्र दिखनेतकका काल । व्रतधारी दिनभर कुछ न सेवन कर इस नक्तकालमें भोजन कर व्रत रखते हैं ।
श्रावण सोमवारको किए जानेवाले कुछ धार्मिक कृत्य -
कुछ स्थानोंपर शिवभक्त यथाशक्ति किसी एक सोमवार अथवा महीनेके प्रत्येक सोमवारको कांवरयात्रा करते हैं । कांवर अर्थात होली वॉटर बीअरर । इस यात्रामें शिवभक्त कांवरमें नदीका जल लेकर भगवान शिवजीसे संबंधित निकटके किसी तीर्थक्षेत्रमें जाते हैं तथा कांवरका जल शिवपिंडीको चढाते हैं । इसप्रकार किए गए शिवाभिषेकका थोडा जल वापस लाकर शिवभक्त उसका प्रयोग तीर्थके रूपमें करते हैं । यह यात्रा नग्न पैर अर्थात बिना जूते-चप्पल पहने, पैदल चलते हुए की जाती है । कुछ स्थानोंपर श्रावणके तीसरे सोमवारको मेलेका आयोजन भी किया जाता है । श्रावणके अंतिम सोमवारको इस व्रतका पारण किया जाता है, कुछ स्थानोंपर भंडारे किए जाते हैं तथा कुछ स्थानोंपर पूरे श्रावण मासमें अन्नछत्र चलाया जाता है । यह व्रत रखनेसे भगवान शिवजी प्रसन्न होते हैं एवं भक्तको सायुज्य मुक्ति मिलती है तथा ऐसी मान्यता है कि इस विधिद्वारा भगवान शिवजीसे एकरूपता प्राप्त होती है । इसी व्रतको जोडकर महिलाएं श्रावणके प्रत्येक सोमवारको एक अन्य उपव्रत रखती हैं ।